पता है तुम्हें...
पता है तुम्हें... ये जो तुम्हारे चेहरे पर खूबसूरती है
खिलखिलाते हुए बच्चें के हंसी जैसी है
जब चेहरे पर तुम्हारे, लटक आते थे बाल
और आंखें हो जाती थीं परेशान
तब तुम हौले से अपने हाथ की अंगुलियों से
बालों की लट को कान के ठीक पीछे ले जाती
और धीरे से ही दबा देती
पता है तुम्हें... उसके बाद तुम्हारा चेहरा
और भी ज्यादा निखर आता
लेकिन पता है तुम्हें...
अब यही चेहरा देख कर
मेरा दिल मुरझा जाता है
आतुर हो जाता है बदला लेने को
जी चाहता है कि एक बार फिर से प्यार करूं तुम्हें
इतना कि, इस बार तुम्हारे लिए छोड़ना हो मुश्किल
लेकिन, उसी समय मैं छोड़ जाऊं तुम्हें बीच मंझधार
वैसे ही न उठाऊं तुम्हारे फोन, मैसेज का भी न दूं जवाब
तुम्हारी आने वाली हर कॉल पे दबा दूं अपने मोबाइल का लाल बटन
और ये महसूस करूं कि
तुम्हें भी वैसा ही होता होगा महसूस
जैसा मैं कर रहा था उस वक्त
जब तुमने भी मेरे साथ भी
किया था कुछ ऐसा ही
छोड़ दिया था मुझे बीच मंझधार
लेकिन पता है तुम्हें...
मैं ऐसा चाहकर भी नहीं कर पाता हूं।
मैं नहीं दबा पाता हूं मोबाइल का लाल बटन
आज भी मेरे मोबाइल में सेव हैं
तुम्हें भेजे गए वो सारे अधूरे मैसेजस
वो सवाल जिनके जवाब तुमसे जानना चाहता था
आखिर में तुम्हें पता हो या न हो
लेकिन मुझे भी चल गया था पता
सब कहते थे कि मैं पछताऊंगा एक दिन
फिर भी मैं आया था तुम्हारे लिए
अपना सब कुछ छोड़ कर
लेकिन उससे पहले ही
तुम
समा चुकी थी उस रकीब की बाहों में.....